सपने सुहाने लड़कपन के........



 नमस्कार
क्या हुआ आप सब को कुछ याद आया नाम से अरे ये सीरियल की नहीं रियल लाइफ की बाते हो री है,
जो हमने और आपने  जिया है बचपन लड़कपन वाला.....
वैसे ये नाम हमारे बचपन के लिए तो ठीक है लेकिन आज कल के बच्चों  के लिए तो फ़ोन वाला बचपन नाम बेहतरीन रहेगा.....
हम तो मौका मिलते ही घर से ऐसे 🏃गुम हो जाते थे जैसे सदियों तक घर वापिस ही नहीं आना क्युकी वो छुप के घर वालो से खेलने जाने का भी अपना एक अगल ही मजा होता था......
आजकल के बच्चे तो मौका मिलते ही फ़ोन मेl ऐसे व्यस्त हो जाते है जैसे फ़ोन ही उनकी दुनिया हो.....
ओर एक हमgt थे जिन्हे नोकिया 1100📲 मे स्नेक वाला गेम  खेलने के लिए भी छुप कर घर के किसी कोने मे बैठना पड़ता था....
2-3 साल के बच्चे ऐसे फ़ोन चलते है जैसे अभिमन्यु की तरह वो फ़ोन चलाना सिख के आये हो....
आप सब का तो पता नहीं पर मुझे स्मार्ट फ़ोन Bs. c फाइनल ईयर मे मिला था वो भी कंपलसरी हो गया था...
अगर आज सोचने बैठ जाये तो ऐसा मन करता है की काश वो दिन फिर से जिए जाये जहाँ नहीं तो किसी चीज की होड़ थी ना ही घमंड.....
बस दोस्तों के साथ अपनापन ओर मीठी नौकजोक होती थी...😀
और दोस्तों के लिए लड़ना भी किसी युद्ध से कम नहीं होता था क्युकी वो लड़ाई कई दिनों तक चलती थी.. 😂
फिर कही जाके कई दिनों मे सुलह होती और फिर से वही पहले वाली एक साथ मिल के मौज उड़ाते थे....
आज हम कितने ही अमीर बन गए हो लेकिन वो बचपन वाली अमीरी नहीं ख़रीद सकते जहाँ हमारे पानी की जहाज 🛳️⛴️चलते थे,
और हमारी छू छू करती हुई रेलगाड़ी चला करती जिसका कोई डिब्बा बड़ा कोई छोटा होता था....
और वो क्रिकेट वाली किलिया तो शायद कोई भुला ही नहीं होगा जिसमे 7 या 9 इटो की होती थी..
हम सब खुद मे युवराज, सचिन, और धोनी होते थे
जो  जीतेंगे वही बेटिंग करेगी एक ये खास रूल होता था हमारे बचपन वाले क्रिकेट का......
खेल तो हमने बहुत सारे खेले थे पर ज़ब मम्मीo की पिटाई और पापा की फटकार पड़ती थी तो हमसे मासूम और सच्चा कोई नहीं होता था... 🤣🤣
फिर से भूल कर सब कुछ हम मौज से जिया करते
और सोचते थे हम बड़े हो जाये जल्दी से ये करेंगे वो करेंगे और ज़ब बड़े हुए तो वापिस वही जिंदगी जीना चाहते है..... 😊😊
आज वो बचपन वाला दौर याद करके आँखे भर आती है..
और बनकर मासूम से हम वही बच्चों वाली हरकते करते है...
हस्ते है जोर जोर से और डांस करते है कोई पागल तो कोई सिरफिरा कहता है हमें पर उस पागलपन मे जीने मे जो मजा है वो किसी जन्नत से कम नहीं .....
एक किस्सा और बहोत महम था हमारे बचपन का जिसमे हम हर रोज कहानिया सुना करते और सुनते सुनते जो जाते थे...
मनै तो अपने पापा से बहुत सारी कहानिया सुनी थी आप सब का पता नहीं कॉमेंट करके बताना.....
अगर आप सबको मेरा ये ब्लॉग अच्छा लगे तो शेयर करना और कॉमेंट करके बताना अपने बचपन के अनुभव.... 😍😍😍
ये सब याद बनकर रह जाता है......

😍😍🌹 Nite Dalal Kuhar 🌹😍😍

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