अहमियत

दोस्तों के साथ महफिल मै बैठी हुई थी,
किसी ने ऐसे ही चर्चे उठा दिए गुज़रे हुए जमाने के       कि अब वो पहले वाला कुछ नहीं रहा, किसी ने कहा रिश्ते नाते बदल गए, किसी ने कहा वो सादगी भोलापन नहीं रहा किसी मे, ऐसे ही एक के बाद एक सब टिप्पणीया देते जा रहे थे,
मै जो अकेलापन हो या ख़ामोशी हो उसमे चुप नहीं रह सकती तो ये क्या मंजर  था,
कुछ बोलती मै उससे पहले किसी ने कहा क्या हुआ आज आपके लब्जो को शब्द नहीं मिल रहे क्या
अरे कुछ नहीं सोच रही हु क्या बाते लेकर बैठ गए हो  आप सब,
जियो ना जिंदगी को एक दिन कि हो या चार दिन कि बस उससे जियो ऐसे जैसे जिंदगी तुम्हे नहीं तुम जिंदगी को मिले हो,
रही बात सादगी कि और भोलेपन कि नज़रे गुमा के देखो तो सही वो महफ़िलो मे नहीं घर मे ही मिल जायेगी
क्युकि
         हसाना हर किसी को आता है
         रुलाना भी हर किसी को आता है
         रुला कर जो मना ले वो पापा है 
         रुला कर जो साथ रो पड़े वो माँ है
बचपन मे कहते थे जवानी अच्छी होंगी जवानी मे तो बुढ़ापे का इंतज़ार कर रहे है कि आराम से जिन्दगी को जियेंगे,
और बुढ़ापे मे आये तो कहते है वो बचपन ही अच्छा था ना कोई टेंसन थी ना कोई सोच,
पर ये कोई नहीं कहता कि वो बचपन इसलिए अच्छा होता था क्युकी ज़ब अच्छे बुरे कि समझ हमें मा बाप देते थे
और आज हम इतने बड़े हो गए है कि माँ बाप कि अहमियत ही भूल गए है
टाइम तो अब भी वही है बदले है तो हम
वरना बैठ के देखो आज भी माँ बाप के पास
माँ भले ही हमारी बातो मे हां मे हां मिला ले
लेकिन बाप तो आज भी 10 मिनट मे ही पूरी दुनिया कि खबर देदेगा,
आज से शुरू करना ये काम तुम सब जिंदगी से ही शिकायते ख़त्म हो जायेगी
ओहो ये क्या मंज़र छेड़ दिया अब इसने आइस्ता से किसी से फुसफुसाया,
जिन्हे ये फालतू बात लग रही थी सुबह होते ही सबसे पहले उन्ही के मैसेज आये हुए थे कि आपकी बातो पर अमल किया जिंदगी के मायने ही बदल गए,
घर जाते ही माँ बाप के पास बैठे फिर से वही सादगी वही भोलापन देखने को मिला जिसे बरसो हो गए थे खोये हुए,
अरे यही तो वो जिंदगी का असूल है
              कि चाये कितने ही व्रत, उपवास कर लो आप 
            कबूल उसका हुआ है जिसने माँ बाप को अपने
              पास रखा है........
आप सब भी अपने माँ बाप को अपने पास रखिये उनकी अहमियत को समझीये जिंदगी का क्या पता कल क्या फैसला हो...... 😊😊

🌹🌹🙏🙏🌹🌹Nite Dalal Kuhar 




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