बेचारा जमींदार

आप सब ने आज उसके बारे मे बतलाऊ सू
जिसने जाने या दुनिया सारी
पर कदर ना जानी किसे नै
इस बेचारे जमींदार कि
बचपन तै ये शोक था इसने
 बाबू का हाथ बैटान का
धर कंधे पर कसी यों
बाबू कि गैल्य खेत मे जाया करता
कदे नाके पे कदे खेत मे पानी बाहा करता
ज़ब आती माँ लेके रोटी
पैल्य बाबू नै खवाया करता
फेर भर होका बाबू का
तु पी होका बाबू मै सभालू नाके नै
बड़े प्यार तै बोला करता
जब होगा स्याना इसने
वा जिम्मेदारी सभाली सारी
तु कर अराम बाबू
इब मै करुँगा जमीदारा
बड़े शान तै या बात कही थी
बाबू कि आंख मे पानी था
रै उसने बैरा था 
इब पलहे आला जमीदारा जमीदारा ना रह रा
पर कोई ओर चारा भी तो ना था
जिसते खाया कमाया जा
इब तो ओर बोझ बढ़गा था
माँ बाबू गैल्य बालका के भी खर्चे होंगे थे
ऊपर तै या महगाई बढ़गी
फसला के दाम कम
अर खाद बीज के दुगने होंगे
आये साल सोचा करता
इबके तै अपनी भी लाऊ जुती नई
पर फेर याद आते वे होली दिवाली
जिन पे बालका कि रीस पुगानी थी
 कुछ साल पाछे उसका ढ़ग कुछ इसा होगा
आप रखा वोये ट्रैक्टर मैसी पुराना
पर ले कर्जा उसने बालक लायक बना दिए
सोचा करता इब सुख के दिन आवेंगे
पर उसने के बेरा था
कीमे तो मार रखा सरकार नै
कीमे देंगे धोखा बालक
छोड़ गाम ने वे शहर मे रहन लागे
आप तार कर्जा बाबू हमने के लिया था
सुन इतनी बात बालका कि
बाकि कोनी रही तन मे
पर के करता लाचार था
जय कर लिया कीमे उल्टा सिधा काम 
या दुनिया बुरा भला कहगी 
कि कर्जा लेके मरगा 
 बैठा बैठा याये सोचे था
 कितने माड़े कर्म रै तेरे जमींदार
इतने मे नाका टुटगा
फेर भाजा ठाके कसी
रै युये ना बना जाता जमींदार
माटी गैल्य माटी होना पड़े सै
अपने अरमान दबाने पड़े सै
ज़ब जाके वे कर्जे उतरे सै
फेर भी कदे सरकार कदे या दुनिया
कदे अपना तै धोखा खावे सै
रै यों बेचारा जमींदार नुये
फेर भी सबका पेट भरे सै.....

🌹🌹🙏🙏🌹🌹 Nite Dalal Kuhar

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