इंतज़ार

शाम होने को थी हर साल कि तरह मे उसे हाथ मे थामे हुए सोच मे डूबी हुई थी
सोच कि इसी दौड़ के बिच ऐसा लगा मानो किसी ने रुकने को बोला हो
पीछे मूड कर देखा तो पापा जी चाय के लिए पुकार रहे थे
हड़बड़ाहट के साथ वही हाथ झाड मे दोड़ी चाय बनाने को
 पता नहीं कब से पुकार रहे होंगे इसी गुनगुनाहट  के साथ चाय बना रही थी
फिर आई अंदर तो मेरी टिक टिक बोलती घड़ी कि तरफ नज़रे गई मानो जैसे वो मुझे कुछ याद दिलाने कि कोशिश कर रही हो
ओहो खाने का टाइम होने को है इसी सोच के साथ मै फिर सै रसोईघर मे घुस गई 
अब मानो मेरी वो पहले वाली सोच मेरे ख्वाबो से भी कोसो दूर थी
सभी को खाना देकर मै खाना खाने ही वाली थी
कि मुझे झटका सा लगा कुछ याद आने पर
मेरी धडकने तेज तेज दौड़ने लगी
इसी बेचैनी के साथ मेरी खामोश नज़रे तेजी से इधर उधर दौड़ने लगी
इसी बिच किसी ने  पूछा क्या देख रही हो ऐसी  बेचैनी के साथ
सुनते ही ये बात जैसे मेरी आवाज़ ही गुम हो गई हो
इधर उधर से कोई और बात होती इतने मे ही देखो मम्मा मुझे क्या मिला है 
ये कहता हुए मेरा बेटा मेरे पास आया
देखते ही उसके हाथो मे उसे मै घुटनो के बल झुकी और बेटे को गले से लगा लिया
मानो जैसे मेरी साँसो मे जान आ गई हो
फिर किसी से पीछे से फुसफुसाया इसके लिए इनती बेचैनी
अब उन्हें कैसे समझाऊ जिसे वो मामूली धागा समझ रहे है
इसी मे तो मेरी जान बस्ती है क्युकी वो मेरे भाई कि कलाई पर बंधती  है 
फिर से सारा माहौल नार्मल हो गया मैंने भी खाना खाया
फिर जल्दी जल्दी काम खत्म कर मैंने फ़ोन चैक किया कि कोई आया हो मैसेज भाई के आने का
क्युकी कल ही तो है रक्षाबंधन
यही सोचते सोचते कब आँखों मे नींद उत्तर आई पता ही नहीं चला
अलार्म कि पहली घंटी बजते ही झट से आँखे खुली जैसे किसी ने उठया हो
अलार्म बंद करते ही फ़ोन चैक किया
दिल मे एक अगल सी ख़ुशी का अहसास होने लगा क्युकी एक मैसेज आया हुआ था
फिर होकर शांत वो मैसेज पढ़ने लगी
देखते ही देखते कब उन खुशियों पर दाग लग गया पता भी नहीं चला मैसेज मे तो बस ये लिखा था सॉरी  बहन मुझे छुट्टी नहीं मिली......
सारे अरमानो पर जैसे बारिश होने लगी हो और वो एक एक करके बुलबुले कि तरह बिखरते चले गए.....
और इंतज़ार इंतज़ार बन कर रह गया...... 😭😭

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