सफर जिन्दगी का

सफऱ जिन्दगी का कुछ यु शुरू हुआ हमारा
पकड़ हाथ माँ बाप का चलते चले गए
जैसे बदला तूने वैसे बदलते चले गए  
सोचा भी ना था जिन्दगी मे ऐसे भी फ़साने होंगे          रोना भी जरूरी होगा और आँसु भी छुपाने होंगे  
फिर आया एक दिन समझ मे बदल जाओ वक़्त के साथ, या फिर वक़्त बदलना सीखो 
मजबूरियों को मत कोसो
हर हाल मे चलना सीखो
यही तो दस्तूर है जिन्दगी का जिसे हर हाल मे अपनाते चलो
जिन्दगी की हर सुबह कुछ शर्ते लेकर आती है
और हर शाम कुछ तजुर्बे देकर जाती है
कह दो जो बात जरूरी हो
क्युकी कभी कभी जिन्दगी बेवक्त पूरी हो जाती है 
ये तो पानी के उस बुलबुले की तरह है जो जोर से ऊपर उठती है और फिर धड़ाम से  ढेर हो जाती है 
इसी सोच के साथ जिन्दगी को कुछ इस कदर जिए जा रहे है हम
कि ना छोड़ेगे साथ अपनों का और खुल के जिया करेंगे क्युकी जिन्दगी तो हर रोज मिलती है
मौत है वो तो जो एक बार आती है
कल ना हम होंगे, ना कोई गिला होगा
बस सिमटी हुई यादो का सिलसिला होगा
जो लम्हे है चलो एक दूसरे के साथ हँस कर बिताये
क्या पता जिन्दगी का कल क्या फैसला हो.
देख जिंदगी के यूँ बदलते रूप हमने भी कह दिया है
ये जिन्दगी अपनी रफ़्तार पे ना इतरा
जो रोक ली सांसे हमने अपनी
तो तु भी ना चल पायेगी....
🌹🌹🙏🙏🌹🌹Nite Dalal Kuhar



टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अहमियत

अधूरा लेख.....

हरा भरा म्हारा हरियाणा