जश्न

सुन वो बच्चो का शोर मेरे दिल मे अजीब सी हलचल हुई,
बन गुनगुनाहट फिर वो होठो  पे  आ  रुकी,
वा क्या बात ये कहते हुए किसी ने दरवाजे के अंदर दस्तक दी,अरे कुछ नहीं वो याद आ गए थे बचपन वाले दिन, ज़ब हम हाथ मे लिए तिरंगे को इतराया करते, और अपने वतन के नारे लगाया करते,
पर अब तो दिन और माहौल कहा,
अब तो हमें समझ भी आ गया है कि आजादी चरखे से नहीं फंदो से मिली थी,
ना जाने कितने झूले फंदो पर, कितनो ने खाई गोली थी,
भारत के वीर शहीदों ने खेली खून कि होली थी,
आज़ादी के लिए समर्पित, वो आज़ाद-भगत कि टोली थी, मरते - मरते भी ना छोड़ी वो इंकलाब कि बोली थी,
ज़ब जाकर टूटी वो, गुलामी कि जंज़िरे थी,
उस समय कि तो वो प्रेम कहानी भी बड़ी चर्चित है,
रांझा जिसमे भगतसिंह और हीर आज़ादी रही होंगी जिसमे,
फिर भी ना जाने क्यों लोग कहते फिरते है चरखे से मिली आज़ादी थी,
एक और महान शख्सियत हुई है जिन्होंने खून के बदले आज़ादी के नारे लगाए थे,
और बना हिन्द फौज अंग्रेजो के खिलाफ खडे हुए थे,
युही नहीं मिली आज़ादी उन्होंने भी तो अपने घर  परिवार को त्यागा था,,
ज़ब जाकर टूटी वो भारत माँ के हाथो और परो कि जंजीरे  थी,
देख खून कि होली उसका दिल भी तो शहमा होगा,
पर क्या करती वो आज़ादी भी तो लानी थी,
आज आज़ाद होने के बाद भी भारत माता रोती है गोरो से तो मिली आज़ादी है, पर आज भाई भाई का दुश्मन है, कैसे करू मै सब्र ये कहती भारत माता
जहा नहीं आज़ादी आज भी सोच मे किसी कि हर इंसान फिरता मारा मारा है कोई नारी तो कोई पैसों के पीछे भागा है,
सुन रोज कि वही पुरानी खबरें है किसी ने बूढ़े माँ बाप को तो किसी ने कन्या को सताया है,.
अपराध करके भी बड़ी शान से  घूमते है,
कैसे कहुँ मै आज़ाद हूँ 
यहां आज भी बंदीस्ते है मंदिर मस्जिद गुरुदवारों मे बटा  हुआ इंसान है,
खून का रंग तो सभी का एक है फिर भी ना जाने क्यों ये तेरा ये मेरा इसमें लगा हुआ हर इंसान है,
आज एक अभियान चला हुआ है
           ' हर घर तिरंगा '
बड़े शान कि बात है
पर एक और अभियान चलना होगा
          ' हर घर अपना '
फिर देखना कुछ अगल ही मंज़र होगा, भाई भाई को समझे अपना, निकले घर से बेखौफ होकर किसी कि बेटी हो या बहु,
  " ज़ब जाकर पूरा होगा आज़ाद हिन्द का सपना "
कुछ शर्ते और कुछ क़ानून बनाने होंगे, ज़ब जाकर रुकेगी ये खून कि होलिया,
करे कन्या के साथ जो बुरा उसे फांसी हो, सताये माँ बाप या भाई बहन  को बचने ना वो भी पाए,
जब जाकर रुकेगी ये अपराधों कि मंजिले
नहीं तो  इन आज़ादी आज़ादी के नारों के बिच कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कहते युही झगड़ते मिलेंगे,
हर सवेरा एक नई चमक लानी होंगी करे दुनिया हम पर नाज़ ऐसा इतिहास बनाना होगा,
सबसे पहले तो घर के दुश्मन को मारना होगा कि वो पुलवामा वाला हमला दौहराया ना जाये,
नहीं तो फिर पूछेगी वो शहीद बेटे कि माँ कैसे पता चला कि ये गाड़ी बूल्ट प्रूफ नहीं थी,
इन सब मसलो का हल ज़ब होगा ज़ब हम सब भारतीयों को एक साथ आवाज़ बुलंद करके एक साथ मिलनी होंगी एक नई सोच का निर्माण करना होगा,
और हर साल ये आज़ादी का जश्न शहीदों के परिवार वालो के साथ मनाना होगा....।
जय हिन्द जय भारत

🌹🌹🙏🙏🌹🌹 Nite Dalal Kuhar 

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