माँ

चलो थम सारे ने अपनी माँ के बारे मे बतलाऊ,
उसकी शान निराली, ढग निराला, अर वो प्यार करण का अंदाज निराला सै, मार के ने थपड वाला गळ्या रोया करे सै,
औरा का तो बेरा ना पर अपनी जिंदगी तो माँ पे शुरू होके उसपे ये ख़त्म होवें सै,
वो भी बख्त ये गजब का था ज़ब माँ छोटे छोटे कै म्हारे लाड लड़ाया करती,
म्हारे ते पहले उठ के वा काम कर लिया करती, चाय बना के फेर वा हम सारा न  ठाया  करती
कदे बाला मे हाथ फेरती, कदे छाती के लाके लाड लड़ाती, भलो के नै हम सारा नै चाय मे दूध मिला कै प्या जाती
ज़ब होता बख्त स्कूल का माँ हमनें त्यार करा करती,
बना चंट मंट  माँ फेर हमने स्कूल भेजा करती,ज़ब आते स्कूल मे त माँ बाट देखती पाया करती, म्हारी भी वा आदत कसूती थी चाये माँ आगे बैठी पाती फेर भी एक माँ रुका मारा करते
वो भी टाइम  कसुता याद आवै  सै ज़ब खेल खेल मे पड़ जाया करते माँ ओर दो ऊपर ते मर कै फेर लाड लड़ाया करती, टाइम बदल गा हम बदलगे छोटे, तै बड़े होंगे पर एक चीज ना बदली ना माँ अर ना माँ का प्यार बदला,
इब भी वा म्हारे तो उतना ये प्यार करे सै,
होजा किमे म्हारे वा म्हारे ते पहले रोवे सै, 
कई बे सोच के जी घबरा जा सै, इब ना मै माँ के पास ना माँ मेरे धोरे,
याद आवै ज़ब ठाके फ़ोन दो बात कर ली सु, अर उसकी हां मे  हा मिला कै जी समझा लू सू , अर दू भरोसा उसने इस बात का के मै राजी सू, जो मिली धर्म की माता वा उसते भी बती लाड करे सै
बेटी बेटी कह कै वा मेरी सारी फरमाइश पूरी करे सै,
अपनी माँ तो समझा दी............

इब उन नै कहु सू जो बस अपनी माँ नै अपनी माँ समझे सै, एक बार अपना कै धर्म की माता न दो बोल प्यार कै बोल कै देखो... घर मे ये स्वर्ग उत्तर जगा एक बार अमल करके ते देखो... अमल कर के तो देखो..........
  🌹🙏🙏🌹Nite Dalal Kuhar


टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अहमियत

अधूरा लेख.....

हरा भरा म्हारा हरियाणा