छाई हुई खामोशीया

टहलने  क्या निकले आज तो कयामत आई गई
चलते चलते कुछ शोर सुनाई दिया
आगे पीछे दाये बाये झट से नज़रे घुमाई
कुछ ना दिया दिखाई, फिर ना दिया शोर सुनाई
बहम होगा मेरा ये सोच आगे कदम बढ़ाये
हमारी तो किलकारियों पर ग्रहण सा लग गया हो जैसे
फिर से ये फुसफुसाहट दी सुनाई
दिल सहम सा गया जब ऊपर नज़रे घुमाई
क्युकी ये कोई और नहीं दो पेड़ की टहनिया 
बन हमदर्द एक दूसरे का दर्द बाँट रही थी
देख मुझे वो भी घबराहट मे बोली जा रहे मुसाफिर 
तेरी बांट देख रहा है रास्ता
फिर कर हिमत क्या हाल है तुम्हारा मैंने भी पूछ लिया
होकर आँगबबूला दोनों ने ऐसे देखो मुझे
मानो जैसे मैंने किसी तेज धार से उनपे वार किया हो
तुम क्या पूछ रहे हो तुम्हारी ही ती देन है
जो ग्रहण लगा हुआ है हमारी किलकारियो पर
कल तीज है सायद तुम्हे याद नहीं है
देखो गुमा कर नज़रे चारो तरह
छाई हुई खामोशीया है
ये तुम्हारी ही तो बदौलत है
ना कोई झूल है ना कोई झूलने वाला 
हमने तो किया इंतज़ार पुरे साल है
फिर भी ना कोई तीज है  ना कोई किलकारी जो मिल हमरी किलकारियों के साथ खिल उठे
अब बोलो क्या हमारी गलती है
 जो झूलो को तुमने त्याग दिया
इससे ही तो हमरी रौनक है जो अब बेरंग हो गई है
होते ही कल सुबह तुम मैसेज पर मैसेज करोगे और दूर से ही हैप्पी तीज कहोगे.
ना झूलोगे ना किसी को झूलाओगे  
घर की छत पर झूला डाल कर बच्चों को कहोगे तीज आई है
सुन कर उनकी बाते मेरा तो दिल भर आया है
अब क्या कहु उन्हें क्युकी कारण तो हम ही है उनके दुख के
अब चल कर वहा से एक रस्सा खरीद लाया क्युकी कल ही तो तीज है क्यों ना इस छाई हुई खामोशियो को किलकारियों मे बदला जाये
और  हैप्पी वाली तीज की जगह पेड़ो के साथ हरयाली वाली तीज मनाई जाये.............
  
  🌹🌹🙏🙏🌹🌹 Nite Dalal Kuhar

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