स्त्री तेरी कहानी

हर कदम पर देखो, तो बस एक वही कहानी है
डगमगाती रहो मे, धुंधलाती सी जिंदगानी है
हाथो मे छाले  तो आँखों मे पानी, घर की चार दीवारों मे क्यों पिस्ता है तन, हर अरमान हर ख्वाइस क्यों है मन मे दफन, एक अधूरा सा अस्तित्व एक दभी सी आवाज़,
सवेरे से अँधेरे तक एक के बाद एक हज़ारो काज,
जब निकली तु घर से बाहर करने हर सपना साकार,
तो फिर झेला कही उत्पीड़न, कही शोषण, तो कही बलत्कार
कितने ही मौत की गागर मे सो जाती है
कितनी ही रेल की पटरियों पर लहूलुहान हो जाती है
फिर भी ना कोई शोर ना कोई आगाज़, कुछ अखबारों की सुर्खिया बन बस गुमनामी के अँधेरे मे खो जाती है
कितनी ही शक्ति स्वरूप दहेज की शिकार है
कही सास नन्द के तने, तो कही पैसा , तो कही गाड़ी लगी बस फरमाइसो की कतार है
फिर भी मा बाप की मान मर्यादा के खातिर हर जख्म, हर घाव , यहां तक की जलना भी स्वीकार है
कैसे होगा तेरा उत्थान ज़ब नारी ही नारी की दुश्मन हो जाती है
कर कन्या भूर्ण हत्या, जननी होकर भी हत्यारिन कहलाती है, लगता है कल्पनायो मे भी ये संसार बड़ा विचित्र बड़ा नवीन अगर हो जाये सर्वत्र मात्र पुरुष ही अकेला आसीन.
कुरीतियों के भंवर मे डगमगाती सी है तेरी नईया ना ही कोई पतवार, ना ही कोई  खवाईया,हर उलझन हर समस्या है निरक्षता का ही परिणाम....
पढो और पढ़ाओ हो साकार साक्षरता अभियान......
  🌹🌹🙏🙏💞💞🌹🌹 Nite Dalal Kuhar



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अहमियत

अधूरा लेख.....

हरा भरा म्हारा हरियाणा