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घमंड

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चढ़ते सूरज मनै ढलते देखे है, घमंड करणीया मानस,  मनै निचे गिरते देखे है, वे जवानी मे जाते देखे है, घमंड करा जिसने इस काया का, रै वा नारी कोढ़ती देखी है, जिसने घमंड करा सुंदरता का, वो धनवान ग़रीबी मे देखा, जिसने घमंड करा माया का, वे ज्ञानी ठोंकर खाते देखे, जिसने घमंड करा बुद्धि का, रै मनै जगल मे वास करते देखे है, जिसने घमंड करा गृहस्ती का, रै मनै उनकी चढ़ती बेल कटती देखी है, जिसने घमंड करा अपने आपे का, रिश्ते नाते टूटते देखे, इस घमंड के चक्र मे, मनै भाई भाई लड़ते देखे है, रै मनै वे बालक मट्टी मे रूलते देखे है, जिनसे घमंड करा माँ बाप कि दौलत पे, रै सुन घमंड करणीये मानस, तु क्यूँ राजी हो रा है, मट्टी बरगी काया तेरी, के बेरा कद सी होजा ढ़ेर, यों हांडये घमंड तेरा बिखरा बिखरा...... 🌹🌹🙏🙏🌹🌹Nite Dalal Kuhar

एक हकीकत

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हकीकत भी देखी है, ख्वाब भी देखे है, देखे है सपने बंद आँखों से, तो खुली आँखों से भी देखे है, सपनो को हकीकत बनते भी देखा है, तो कुछ सपनो को टूटते भी देखा है बहुत हँसते है हम, खुद को रोते बहुत कम देखा है मुस्कान जाती नहीं चहरे से, इस मुस्कान पर कुछ को मरते, तो कुछ को चिढ़ते देखा है अपनी हंसी से पहचाने जाते है हमें तो अपनों का अपनापन  और दोस्तों कि दिलदारी पसंद है क्या कहे दोस्तों कि अजीब दास्तां होती है. दोस्तों मे लड़ना मिलने से भी अच्छा होता है लड़  के मनाने वाले भी होते है कुछ को चिड़ाना अच्छा लगता है सफर ट्रैन का हो या जिंदगी का ख़त्म नहीं होती बाते फिर भी खामोश रह कर मुस्कुराना अच्छा लगता है बैठ कर दोस्तों मे मिल गई जैसे पूरी दुनिया बाकि सब भूल जाना अच्छा लगता है एक प्यारा सा हमसफ़र है मेरा वो मुझसे मेरे सपनो को पूछा करते है हम हँस हँस के यूँ ही टाल दिया करते है सोचा क्या होगा बताने से इस बहाने से खुद को रोक लिया करते है पर वो भी किसी बहाने से पूछ ही लिया करते है सच कहुँ तो हम हँस के यूँ ही टाल दिया करते है क्युकी मुझे लिखने कि रूचि है जिंदगी का हाल बंया किये जा रही हूँ विराम स